सौरव गांगुली की जीवनी – Sourav Ganguly Biography Hindi

सौरव गांगुली की जीवनी – Sourav Ganguly Biography Hindi

क्रिकेट की दुनिया में आज भी कई ऐसे खिलाड़ी है जो अपनी विशिष्ट खेल प्रतिभा और कई उपलब्धियों के लिए दुनिया आज भी उन्हें याद करती है ऐसे ही खिलाड़ी के बारे में हम बात करने वाले हैं उस खिलाड़ी का नाम है

तो बात करे सौरव गांगुली को लोग दादा,, प्रिंस ऑफ कोलकाता, बंगाल टाइगर, महाराजा के नाम से जानते हैं सो गांगुली भारतीय क्रिकेट टीम में एक सफल कप्तान रह चुके हैं वे अपने आक्रामक खेल और आक्रामक कप्तानी के लिए जाने जाते हैं

पूरा नाम (Real Name) सौरव चंडीदास गांगुली
उप नाम (Nickname) दादा, बंगाल टाइगर,
जन्म तारीख (Date of Birth) 8 जुलाई 1972
उम्र (Age ) 48 साल (साल 2021 में )
जन्म स्थान (Birth place) बेहाला, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल
गृह स्थान (Home Town ) कोलकाता, पश्चिम बंगाल
स्कूल का नाम (School Name ) St. Xavier’s Collegiate School. Kolkata, West Bengal
शैक्षिक योग्यता (Educational ) ज्ञात नहीं
पेशा (Profession) पूर्व क्रिकेटर
लंबाई (Height) 5.11 फीट
वजन (Weight) 68 किलो
आंखो का रंग (Eye Color) काला
बालों का रंग (Hair Colour) काला
अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत (International Debut) टेस्ट- 20 जून 1996 बनाम इंग्लैंड लॉर्ड्स में
वनडे- 11 जनवरी 1992 बनाम वेस्टइंडीज ब्रिस्बेन में at
अंतर्राष्ट्रीय सेवानिवृत्ति (International Retirement) टेस्ट- 6 नवंबर 2008 बनाम ऑस्ट्रेलिया नागपुर में
वनडे- 15 नवंबर 2007 बनाम पाकिस्तान ग्वालियर में
राशि (Zodiac sign) कर्क
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (Caste) ब्राम्हण
जर्सी का नंबर (Jersey Number) 99, 1, 24, 21
बल्लेबाजी शैली (Batting Style) बाएं हाथ के बल्लेबाज
बॉलिंग शैली (Bowling Style) दाहिने हाथ के गेंदबाज
घरेलु टीम (Domestic/State Team) पश्चिम बंगाल, ग्लेमोर्गन
फील्ड पर स्वाभाव ( Nature on field) आक्रामक
करियर में टर्निंग पॉइंट (Career Turning Point) 1996 में अपने डेब्यू मैच में ही लॉर्ड्स के मैदान पर शतक ठोका था.
कोच / मेंटर (Coach/Mentor) बी. डी. देसी, हेमू अधिकारी, वी.एस.पाटिल
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) शादीशुदा
शादी की तारीख (Date of marriage ) साल 1997
कुल संपत्ति (Net Worth) $55.5 मिलियन

सौरव गांगुली की जीवनी – Sourav Ganguly Biography Hindi

सौरव गांगुली का जन्म

 सौरव गांगुली को सौरव चंडीदास गांगुली के नाम से जाना जाता है और उनका जन्म कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था उनका जन्म 8 जुलाई 1972 को हुआ था इनके पिता जी जिनका नाम चंडीदास गांगुली था जो उस समय कोलकाता के महान अमीर लोगों ने उनकी गिनती हुआ करती थी

जिसके कारण सौरभ गांगुली का बचपन में ऐसा माहौल था जिन्होंने पैसों की कमी की कमी नहीं पड़ी जिसके कारण उनका रुतबा हो रहे हैं चेंज इतना ऊंचा था कि लोगों ने महाराजा कहकर बुलाते थे

सौरव गांगुली का परिवार

तो बात करी सौरव गांगुली की परिवारिक जिंदगी की तो सौरव गांगुली का परिवार काफी छोटा और काफी कुशल है सौरव गांगुली का परिवार बचपन से ही उन्हें काफी अच्छी परवरिश की है जिसके कारण में कभी भी पैसों की कमी नहीं रही है भारतीय सौरव गांगुली के पिताजी का नाम चंडीदास गांगुली था जो उस समय कोलकाता के बड़े बिजनेसमैन और लोगों में गिने जाते थे वही बात है उनकी माता जी का निरूपा गांगुली नाम था वही बात के उनके भाई जिनका नाम स्नेहाशीष गांगुलीगांगुली है बात करें सौरभ गांगुली ने 1947 में डोना राय से विवाह किया 2001 में सौरव गांगुली की एक बेटी का जन्म हुआ जिसका नाम सना गांगुली रखा गया है सौरव गांगुली के पिताजी का निधन 2013 में हो गया था

सौरव गांगुली की शिक्षा

 सौरव गांगुली ने अपने स्कूल शिक्षा कोलकाता के प्रसिद्ध स्कूल सेंट जेवियर स्कूल से प्राप्त की इस दौरान उन्होंने फुटबॉल में खेलने की रुचि दिखानी शुरू कर दी और वह स्कूल की तरफ से कई फुटबॉल मैचों में हिस्सा लेने लगे उस समय बंगाल के अंदर फुटबॉल प्रसिद्ध था जिसका असर सौरव गांगुली पर भी होने लगा

लेकिन कुछ समय बाद उनके बड़े भाई की सलाह के बाद सौरव गांगुली ने क्रिकेट खेलना शुरू किया और उनके लगन और टैलेंट को देखते हुए यह क्रिकेट के सितारे हैं

सौरभ गांगुली के क्रिकेट करियर की शुरुआत

सौरव गांगुली के क्रिकेट खेलने का भूत सवार अपनी स्कूली शिक्षा से ही हो गया था सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ने वाले सौरव गांगुली को भूत इस बात पर सवार हो गया कि उनका भाई सुबह शाम प्रेक्टिस करते थे और दिग्गज खिलाड़ी की पुरानी वीडियो क्लिप देखते थे जिसके कारण 4 विकेट लेना स्टार्ट कर दिया जिसके कारण और गांगुली भी धीरे-धीरे क्रिकेट में रुचि लेने लगे

सौरव गांगुली की फैमिली का अच्छा बैकग्राउंड होने के कारण उन्होंने अपने घर पर ही क्रिकेट का पिच बनवा दिया

एक बात स्कूल की क्रिकेट टीम ने उन्हें 12वीं खिलाड़ी के रूप में रखने के कारण वे काफी नाराज हो गए थे उन्होंने मैदान पर प्लेयर्स को पानी की बोतल ले जाने तक से मना कर दिया था लेकिन बाद में सौरव गांगुली का व्यवहार धीरे-धीरे बदल गया

1982 में इन्हें बंगाल की तरफ से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का मौका मिला जहां पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया उन्होंने रणजी ट्रॉफी दिलीप ट्रॉफी में काफी अच्छा प्रदर्शन किया उन्होंने इसी दौरान उड़ीसा के खिलाफ अंडर-15 की टीम ने पहला शतक लगाया

धीरे धीरे सौरव गांगुली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में काफी अच्छा प्रदर्शन करने लगे उनकी अच्छी प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें उन्हें 1992 में वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टीम में चयनित कर लिया जाए इस दौरे पर उन्होंने 11 जनवरी 1992 उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिला और उन्होंने 3 रन बनाए यह वेस्टइंडीज का दौरा सौरव गांगुली के लिए कैरियर का फ्लॉप मोड़ साबित हुआ और वह इस दौरे पर अपने खराब बर्ताव के कारण भी आलोचनाओं में रहे जिसके कारण उन्हें लगातार 4 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने का मौका नहीं मिला

तीन-चार साल के लंबे ब्रेक के बाद सौरव गांगुली ने लगातार अपने क्रिकेट पर प्रैक्टिस करना स्टार्ट रखा उन्होंने कभी हार नहीं मानी फिर 1996 में उन्हें इंग्लैंड दौरे के लिए चयनित कर दिया गया वहां पर उन्हें वनडे और टेस्ट मैच की सीरीज खेलनी थी जहां पर वनडे सीरीज में उन्हें तीन मैचों में से एक मैच में खेलने का मौका मिला इसमें सौरव गांगुली ने 46 रन बनाए वनडे का एक मैच में सफल रहा था लेकिन असली चुनौती टेस्ट में थी

19 जून 1996 में सौरव गांगुली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की यह मैच उन्होंने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेला जहां पर उन्होंने सौरव गांगुली ने अपने पहले ही मैच में 136 रन की शानदार पारी के लिए यही नहीं उन्होंने अगले टेस्ट मैच में भी शतक लगाया किसी के साथ उन्होंने अपने क्रिकेट के हुनर और टैलेंट को लोगों के सामने रखा और आलोचनाओं को करारा जवाब दिया किसी के साथ सौरव गांगुली ने एक रिपोर्ट भी बनाया की लगातार दो टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले दुनिया के तीसरे बल्लेबाज बन गए इसी के साथ सौरव गांगुली ने अब टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर ली थी

1997 में कनाडा के टोरंटो में खेले गए सहारा कप में पाकिस्तान के विरुद्ध उन्होंने शानदार पारी खेली. इस मैच में सौरव ने 75 गेंदों में 75 रन तो बनाया ही और साथ ही मात्र 16 रन देकर उन्होंने 5 विकेट भी झटके थे. परिणामस्वरूप इस टूर्नामेंट में सौरव को चार बार ‘मैन ऑफ़ दी मैच’ से नवाज़ा गया और फिर वे ‘मैन ऑफ़ दी सीरीज’ भी चुने गए. इस वर्ष उन्हें वन डे मैचों में सर्वाधिक रन बनाने के कारण वर्ष का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज घोषित किया गया था.

इस प्रकार सौरव गांगुली का प्रदर्शन लगातार अच्छा होता रहा वर्ष 1999 में उनका चयन क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए हो गया उन्होंने उसके बीच में काफी अच्छा प्रदर्शन किया उन्होंने तेंदुलकर के साथ ओपनिंग करने का मौका मिला और उस ओपनिंग मैच मैं वह श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए सौरव गांगुली ने 186 रन की शानदार पारी खेली और उन्होंने पूर्व कप्तान कपिल देव का एक दिवसीय क्रिकेट का 175 रन का रिकॉर्ड तोड़ दिया उस समय किसी भी क्रिकेटर वनडे मैच में सबसे ज्यादा बनाया गया स्कोर था सचिन तेंदुलकर ने सौरव गांगुली के साथ मिलकर 252 रन की साझेदारी की जिससे आगे चलकर राहुल द्रविड़ के साथ खेलते हुए 218 रन की साझेदारी के साथ  तोड़ दिया जबकि वनडे क्रिकेट में दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी साझेदारी है

इस प्रकार सौरव गांगुली का प्रदर्शन लगातार बढ़ता रहा 1999 सौरव गांगुली के करियर का सबसे शानदार इस साल उन्होंने न्यूजीलैंड के साथ खेलते हुए 5 ओडीआई मैच की सीरीज में और पेप्सी कप में मैन ऑफ द सीरीज मिला 2001 में एक ऐसा वक्त आया जब भारतीय टीम पर मैच फिक्सिंग का साया मंडराने लगा उस समय सचिन तेंदुलकर से लेकर बड़े खिलाड़ी पीछे हट गए उससे कठिन समय में इंडिया टीम की कप्तानी करने के लिए सौरव गांगुली आ गया है उन्होंने टीम की कप्तानी का भार संभाला और लंबे समय तक भारतीय टीम का नेतृत्व किया सौरव गांगुली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 2004 में क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने फाइनल तक पहुंची

 सौरव गांगुली अपनी कप्तानी में भारतीय टीम के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया तथा उनकी कप्तानी में कई बड़े खिलाड़ियों ने करियर की शुरुआत की जो आज एक बड़े स्तर पर पहचाने जाते हैं उनकी कप्तानी में  हरभजन युवराज सिंह राहुल द्रविड़ लक्ष्मण जैसे कि युवा खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिला जबकि सचिन तेंदुलकर जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को भी सौरव गांगुली का साथ मिला और सौरभ गांगुली अपनी टीम में लगन भरने के लिए जाने जाते हैं लेकिन वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ पूरी व्यवहार विरोधी टीम के खिलाड़ियों के गलत बर्ताव के चलते हमेशा आलोचनाओं में रहते थे

वर्ष 2007 के दौरान एक बेहतर खिलाड़ी से अलग सौरव गांगुली ने अपने घमंड और टीम में खिलाड़ियों के साथ दादागिरी उनके करियर पर गलत प्रभाव डालने लगी इस समय उनका प्रदर्शन लगातार आप हो गया वहीं भारतीय टीम के उस समय के कोच के साथ मनमुटाव के कारण उन्हें टीम से हर बार बाहर होना पड़ता था लेकिन परंतु सौरव गांगुली से हार नहीं मानी और वह कभी नहीं झुके तो भारतीय टीम से बाहर होने के बाद उन्होंने आईपीएल में कोलकाता की टीम के साथ खेलेंगे यहां भी उन्होंने बहुत समय तक मनमुटाव होता गया  और कहा जा सकता है कि सौरव गांगुली काफी शानदार केरियर रहा लेकिन वह टीम में गलत व्यवहार के चलते हमेशा आलोचनाओं में रहे सौरव गांगुली के शानदार प्रदर्शन के चलते उन्होंने कई रिकॉर्ड क्रिकेट की कई यादें बनाई है जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं

Question 1 :सौरव गांगुली की लंबाई और कितनी है?

Answers : 5.11 फीट.

Question 2 :सौरव गांगुली को लोग और किस नाम से जानते हैं?

Answers :  दादा,, प्रिंस ऑफ कोलकाता, बंगाल टाइगर, महाराजा .

Question 3 :सौरव गांगुली कहां के रहने वाले हैं?

Answers : बेहाला, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल.

Question 4 :सौरव गांगुली कौन सी जाति के हैं ?

Answers : ब्राम्हण .

Question 5 :सौरव गांगुली के जर्सी नंबर कितने हैं?

Answers : 99, 1, 24, 21.

Question 6 :सौरव गांगुली की कुल संपत्ति कितनी है?

Answers : $55.5 मिलियन.

Question 7 :सौरव गांगुली के कोच कौन थे ?

Answers : बी. डी. देसी, हेमू अधिकारी, वी.एस.पाटिल.

Question 8 :सौरव गांगुली कौन सी स्कूल से पढ़े हुए हैं?

Answers : कोलकाता के प्रसिद्ध स्कूल सेंट जेवियर स्कूल.

Question 9 :सौरव गांगुली के पिताजी क्या काम करते थे?

Answers : कोलकाता के बड़े बिजनेसमैन .

Question 10 :सौरव गांगुली के भाई का क्या नाम है ?

Answers : स्नेहाशीष गांगुली .

Question 11 :सौरव गांगुली के पिताजी का निधन कब हुआ?

Answers :  निधन 2013 .