कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बारे में जानकारी | kirodi singh bainsla history

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बारे में जानकारी | kirodi singh bainsla history

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जीवन परिचय

नाम कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला
Date of Birth 12 September 1940 (age 81)
Died 31 March 2022
प्रसिद्धि नाम कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला,समाज सेवक,गरीबों के मसीहा,दिग्गज गुर्जर नेता
नागरिकता भारतीय
पेशा रक्षा कार्मिक,समाज सेवक,राजनीतिज्ञ
संगठन कर्नल बैंसला फाउंडेशन
राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
पत्नी का नाम श्रीमती रेशम बैंसला
पत्नी का गांव देओलेन गांव
राज्य राजस्थान
जिला करौली
तहसील हिंडौन
गांव मुंडिया मुंडिया
पिन कोड 304502
संतान एक बेटी और 2 पुत्र
पोशाक धोती कुर्ता और कमीज

कौन है कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ?

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भारतीय सेना के पूर्व सैनिक कर्नल है, और भी अधिक सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने 2007 में गुर्जर समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की और उनकी आरक्षण की मांग इतनी तेज रही कि देश के प्रचलित मुद्दों में से एक बन गई|

कदम कदम पर नया इम्तिहान होता है संघर्ष का रास्ता कहां आसान होता है जो चलता है इस कठिन रास्ते पर उस संघर्षशील के कदमों में जहां होता है|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला मल का जन्म

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले की एक तहसील हिंडौन में मैं हुआ था|कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म 12 सितंबर 1940 को हुआ था

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का परिवार

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का विवाह है बचपन में ही हो गया था यानी कि उनकी शादी मात्र 14 साल की उम्र में ही हो गई थी| 1996 में उनकी पत्नी का निधन हो गया,कर्नल बैंसला के चार संताने हैं जिनमें उनके तीन बेटे और एक बेटी है| बड़े बेटे का नाम दौलत सिंह बैंसला यह भी अपने पिताजी की तरह कर्नल रह चुके हैं, उनके दूसरे बेटे का नाम जय सिंह बैंसला है यह भी मेजर जनरल है, जबकि उनके तीसरे बेटे विजय सिंह बैंसला आईटी सेक्टर में काम किया करते हैं, उनकी बेटी का नाम सुनीता बैंसला है जो एक ICR अधिकारी है

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की शिक्षा |

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला अपने जमाने के हिसाब से काफी पढ़े लिखे इंसान थे,आरंभिक पढ़ाई गांव के स्कूल तथा आगे की पढाई भरतपुर एवं जयपुर के कॉलेज में की।
उन्होंने अपने शिक्षा करियर की शुरुआत राजस्थान से ही की थी उन्होंने अपनी पूरी शिक्षा और पूरा ग्रेजुएट करने के बाद उन्होंने अपना करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी, हालांकि अपने पिता के तरफ फौज में चले गए|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला करियर की शुरुआत

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने अपने करियर की शुरुआत राजस्थान से ही कि उन्होंने 1951 में शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी हालांकि उनके पिताजी फौज में होने के बाद उनकी भी रुचि फौज में जाने की बढ़ गई जिसके बाद में उन्होंने 1961 में को ज्वाइन कर लिया जिसके बाद उन्होंने 1963 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध में अहम भूमिका निभाई|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला पहनावा

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला राजस्थान से थे वे अपनी मिट्टी के साथ जुड़े हुए व्यक्ति थे उनके अगर पहनावे की बात करें तो वे अपने राजस्थानी वस्त्र धोती कुर्ता और लाल पगड़ी में रहते थे|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का शिक्षक के रूप में कैरियर

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का परिवार काफी शिक्षित था जिसकी वजह से बचपन से ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का शिक्षा में ध्यान था जिसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई राजस्थान से पूरी कर कर शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की लेकिन कुछ दिन शिक्षक की नौकरी करने के बाद उनका रुचि अपने पिताजी की तरह आर्मी में जाने की रही जिसके बाद उन्होंने जिसके बाद उन्होंने 1958 मैं आर्मी जॉइन कर ली|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का आर्मी कर्नल के रूप मेंकैरियर

1958 में कर्नल बैंसला के आर्मी जॉइन करने के बाद उनका आर्मी का करियर काफी अच्छा रहा उन्होंने 1962 में भारत और चीन के बीच में युद्ध में काफी अहम भूमिका निभाई जिसके बाद उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच में 1965 में हुई लड़ाई में भी उन्होंने अहम योगदान निभाया जहां पर उन्हें बंदी बना लिया गया लेकिन उनकी बहादुरी और ताकत को देखकर आर्मी में उन्हें जिब्राल्टर की चट्टान का नाम दिया गया|

आर्मी में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के लगातार बहादुरी के कारण उन्हें अधिकारी कर्नल पद पर नियुक्त कर दिया गया जहां पर भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने पूरी बहादुरी के साथ भारतीय सेना का नेतृत्व किया|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का आर्मी का पूरा करियर काफी शानदार रहा उन्होंने पूरी बहादुरी और पूरी ईमानदारी के साथ अपने देश भारत की सेवा की|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला भी अपने पिताजी की तरह एक सफल आर्मी सोल्जर बनने में सफल रहे जिसके बाद कर्नल बैंसला ने 1991 में आर्मी से रिटायर हो गए|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुर्जर आंदोलन का नेतृत्व

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आर्मी से रिटायर होने के बाद उनका अगला मिशन अपनी अनुसूचित पिछड़ी जाति को आरक्षण दिलवाना था जिसमें उनकी चार जाते शामिल थी| जिसमें किरोड़ी लाल का मुद्दा था कि इन जातियों को विशेष जातियों में शामिल किया जाए जिन्हें आरक्षण मिले| ताकि उनकी जाति अन्य जातियों के समान ऊपर आ सके|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आर्मी से रिटायर होने के बाद उनका अगला मिशन अपनी अनुसूचित पिछड़ी जाति को आरक्षण दिलवाना था जिसमें उनकी चार जाते शामिल थी| जिसमें किरोड़ी लाल का मुद्दा था कि इन जातियों को विशेष जातियों में शामिल किया जाए जिन्हें आरक्षण मिले| ताकि उनकी जाति अन्य जातियों के समान ऊपर आ सके|

हालांकि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कई आंदोलन शुरुआत में आसान नहीं रहा 2005 में उन्होंने पूरी प्लानिंग के साथ आंदोलन करने की योजना बनाई जिसके बाद 2006 में उन्होंने योजना को अंजाम भी दिया जहां पर उन्होंने राजस्थान के कई राज्यों में रेल और ट्रेन के आगे धरना देकर आरक्षण की मांग की हालांकि उस समय गुर्जर समुदाय के 72 लोग मारे गए| इसके कारण कुछ समय केवल पर अनेक उन लोगों को गुमराह करने के आरोप भी लगे| हालांकि कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला व्यक्ति थे जिन्होंने पहले ही ठान लिया था कि वह अपने समुदाय के लिए कुछ ना कुछ जरूर करेंगे|

2007 में उन्होंने राजस्थान सरकार से बातचीत के बाद गुर्जरों को SBC का दर्जा देने की मांग वापस ले ली।हालांकि, समुदाय के कुछ वर्गों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और उन पर सरकार का एजेंट होने का आरोप लगाया।2008 में, उन्होंने SBC का दर्जा देने के आह्वान को नवीनीकृत किया, और गुर्जर विरोध की एक नई लहर ने पूरे देश का ध्यान खींचा और राजस्थान को ठप कर दिया।कुछ मीडिया आउटलेट्स ने अन्य गुर्जर नेताओं पर उनकी कथित भव्य जीवन शैली के लिए पाखंड का आरोप लगाया है, लेकिन बैंसला ने इन आरोपों से काफी हद तक परहेज किया है।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अगला मिशन था कि जो लोग इस आंदोलन में जान गवा चुके थे उनके परिवार को सरकार की तरफ से सहायता प्रदान करना| कर्नल बैंसला के लगातार आंदोलन के कारण उन्हें 2011 में सफलता भी मिल गई जिसके बाद 2011 में उनके परिवार वालों को सरकारी नौकरी और 5-5 देने का सरकार द्वारा फैसला किया गया|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के आंदोलन के दौरान उन पर जातिवादी होने का आरोप भी लगा, हालांकि इस बात को कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला में स्वीकार भी किया, वह इस पर कहते हैं कि वह गुर्जर समुदाय से हैं वे इनके लिए गर्व की बात है और वह अपनी पिछड़ी जाति को और अन्य जातियों के समांतर लाकर ही रहेंगे|

2004 से लेकर 2018 तक लगातार किरोड़ीमल का आंदोलन का सफर चलता ही रहा , इसके दौरान मैंने कई बार राज्य की सड़कों रेलवे ट्रैक को को भी जाम कर दिया, कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला अपने समुदाय के बीच में ऐसे ही पहचान बना चुके थे, कि वे जो कह देते बस उनका समुदाय वह करने के लिए तैयार था|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के लगातार अपनी जाति के प्रति लॉयल्टी और मेहनत को देखते हुए उन्हें गुर्जर समुदाय से ही नहीं राजस्थान की सभी जातियों से समर्थन मिला|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला कि लगातार आंदोलन और पूरे विश्वास के कारण 2018 में उन्हें सफलता भी प्राप्त हो गई सरकार ने उनकी सभी मांगों को मानकर 2018 में उन्हें आरक्षण देने का फैसला किया|

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का राजनीतिक कैरियर

सेना से रिटायर होने के बाद वे गुर्जर समुदाय के लिए आरक्षण के लिए तो छुट्टी चुके थे साथ ही | साथियों ने बीजेपी में शामिल होने का भी ऑफर मिल चुका था हालांकि उन्हें राजनीतिक कैरियर के दौरान कई ऊंच-नीच का सामना करना पड़ा, बीजेपी के कार्यकर्ता और उनके बीच में कई बार मनमुटाव भी देखे गए|

2009 में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला में भाजपा की तरफ से ओपन मधुपुर से भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ा हालांकि वहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा|

जब 2015 में सूबे की भाजपा सरकार से किरोडी की सहमति बनी तो पार्टी के ही एक नेता ने अपनी ही सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा कर डाला।
भाजपा नेता रामवीर सिंह विधूड़ी ने कहा कि सरकार गुर्जरों को मूर्ख बना रही है। यदि सरकार अपने कार्यकाल के दौरान गुर्जरों को आरक्षण दे देती है तो वह मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को सोने से तौल देंगे।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की मृत्यु

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन 31 मार्च 2022 को हो गया पिछले लंबे समय से अनेक बीमारियों से जूझ रहे थे, किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन 81 साल की उम्र में हो गया|

कर्नल बैंसला फाउंडेशन

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला राजस्थान के अनेक फाउंडेशन से जुड़े हुए थे उनका मकसद अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य की ओर का साथ ही वे राजस्थान की बालिकाओं के लिए बाल विवाह, असाधारण शादियों, दहेज आदि जैसी सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाने के लिए अनेक फाउंडेशन के साथ जुड़े और इनमें सफल भी रहे|